बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा और एनडीए की प्रचंड जीत के बाद प्रदेश कांग्रेस नेताओं में खलबली मच गई है। नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और शीर्ष नेता राहुल गांधी से मुलाकात के लिए समय मांगा है। दरअसल, कांग्रेस में हाल के सांगठनिक फेरबदल, खासकर जिलाध्यक्षों की नई सूची को लेकर कई जगह विरोध देखा जा रहा है, जिसके चलते पार्टी नेतृत्व के सामने नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं।

पार्टी हाईकमान ने यह बदलाव आगामी 2027 विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया है, लेकिन शुक्रवार को आए नतीजों के बाद उत्तराखंड समेत कई राज्यों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में बेचैनी स्पष्ट दिखी। राज्य कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने बताया कि करीब 12 प्रदेश के नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की मांग की है। इन नेताओं में पूर्व सांसद महेंद्र सिंह पाल, ईसम सिंह, पूर्व मंत्री ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी, विधायकों तिलक राज बेहड और मदन बिष्ट समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं।

नेताओं का मानना है कि यदि भविष्य की रणनीति और सांगठनिक मजबूती को लेकर गंभीरता से कार्य नहीं किया गया तो पार्टी की मुश्किलें आगामी चुनाव में और बढ़ सकती हैं। उन्होंने इस संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और निवर्तमान अध्यक्ष करन माहरा से भी चर्चा की, ताकि प्रदेश संगठन व रणनीति को लेकर हाईकमान को वास्तविक स्थिति से अवगत कराया जा सके।

गौरतलब है कि वर्ष 2014 के बाद से कांग्रेस निर्णायक जीत के लिए तरस गई है। ऐसे में बिहार सफल प्रयोग भाजपा के लिए बूस्टर डोज साबित हुआ है। राज्य के कांग्रेस नेता नहीं चाहते कि आने वाले चुनाव में भी ऐसी ही तस्वीर उत्तराखंड और अन्य प्रदेशों में दिखे। पार्टी नेताओं ने स्पष्ट किया कि हाईकमान से सलाह करने में कोई संकोच नहीं है और सभी चाहते हैं कि संगठन की मजबूती और कार्यकर्ताओं की चिंता को उच्च स्तर पर रखा जाए।

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