बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी के भीतर असंतोष और सरगर्मी तेज हो गई है। कमजोर प्रदर्शन से निराश नेता, विधायक और कार्यकर्ता अब खुलकर नेतृत्व और संगठन की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं। पार्टी के भीतर यह चर्चा जोरों पर है कि कमजोर संगठन, नेतृत्व की दूरी और टिकट वितरण में गड़बड़ी ने कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया है।

पटना में कांग्रेस नेता कृपानाथ पाठक ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व तक जमीनी सच्चाई नहीं पहुंची और इसी के कारण इतनी बड़ी गलती हुई। उन्होंने चेताया कि अगर उच्च नेतृत्व अब भी नहीं चेता तो आने वाले दिनों में कांग्रेस को और गंभीर संकट झेलना पड़ेगा।

केरल से सांसद शशि थरूर ने भी इस हार को गंभीर निराशा बताते हुए आत्ममंथन से आगे बढ़कर संगठनात्मक और रणनीतिक चूक की वैज्ञानिक समीक्षा की जरूरत पर जोर दिया। थरूर ने यह भी खुलासा किया कि उन्हें प्रचार के लिए बुलाया ही नहीं गया था। उन्होंने कहा कि टिकट वितरण और फैसलों में पारदर्शिता की जरूरत है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने भी पार्टी से उपेक्षा का दर्द साझा किया। वहीं, नेता मुमताज पटेल ने तो सीधे नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब बहाना और दोषारोपण नहीं चलेगा। उनका कहना है कि हार की असली वजह सत्ता का कुछ लोगों के बीच सिमटा रहना और जमीनी कार्यकर्ताओं की बात न सुनना है।

पार्टी छोड़ चुके शकील अहमद ने टिकट वितरण में भारी गड़बड़ी का आरोप लगाया और AIMIM के बेहतर प्रदर्शन को कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बताया। वरिष्ठ नेता निखिल कुमार ने हार की मुख्य वजह संगठनात्मक कमियों को बताया, जबकि सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने फ्रेंडली फाइट को भी आरजेडी और कांग्रेस दोनों के लिए नुकसानदायक माना।

इन सबके बीच, कांग्रेस हाईकमान पर दबाव तेज होता जा रहा है और आने वाले समय में संगठन के स्तर पर बड़े बदलाव की चर्चा भी तेज हो गई है। पार्टी के लिए यह समय आत्ममंथन और ठोस रणनीति की जरूरत का है—वरना, बूथ से लेकर शीर्ष नेतृत्व तक बदलाव की मांग और जोर पकड़ सकती है।

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